खुजली मैं दूर कर दूंगा !- Antarvasna
Oplus_131072

खुजली मैं दूर कर दूंगा !- Antarvasna

Antarvasna

आज मैं आपको Antarvasna अपनी पड़ोसन आंटी की चुदाई की कहानी बताता हूँ कि कैसे मुझे एक 37 साल की माल आंटी को चोदने का मौका मिला।

तो अपने लंड को थाम के (अगर पास आपके चूत है तो उसमें ऊँगली डाल के ) तैयार हो जाइये एक हसीं दास्ताँ सुनने के लिए!

यह मेरा वादा है कि आपका लंड माल और आपकी चूत पानी छोड़ देगी, इससे पहले कि मेरी कहानी ख़त्म हो।

मेरे पड़ोस में एक परिवार रहता है जिसमें दो बच्चे, एक अंकल और एक आंटी हैं। अंकल बीएसएनएल में काम करते हैं और आंटी घर पर ही रहती हैं। उनका बड़ा लड़का बाहर नौकरी करता है और छोटा दसवीं में पढ़ता है। हमारे घर इतने पास-पास हैं कि एक छोटा सा बच्चा भी कूद कर हमारी छत से उनकी छत पर जा सकता है।

बात गर्मियों की दोपहर की है जब बाहर गर्म और तेज़ हवा चलने लगी, आंटी ज़ल्दी से उपर आ गई और सुखाये हुए कपड़े वापस नीचे ले जाने लगी ताकि कहीं ऐसा न हो कि कपड़े उड़ जाएँ!
पर आंटी ने जब देखा कि उनकी पैंटी उड़ कर हमारे घर में आ गिरी है, उन्होंने ऊपर से ही मेरी मम्मी को आवाज़ लगाई।

क्योंकि मम्मी उस वक़्त खाना बना रही थी इसलिए उन्होंने मुझे कहा कि मैं ऊपर जा के देखूं कि आंटी क्यों बुला रही हैं।

जैसे ही मैं ऊपर गया, मुझे आंटी की पैंटी दिख गई और मैं जैसे ही आंटी के पास पहुंचा, मैंने उस पैंटी के ऊपर पैर रख दिया और आंटी से अनजान बन कर पूछने लगा- आंटी! क्या बात है, आपने आवाज़ क्यों लगाई?

आंटी अब फंस चुकी थी, पर मरती क्या न करती, बोली- बेटा, मेरा एक कपड़ा तुम्हारी छत पर गिर गया है। ज़रा लौटा दो!

मैंने कहा- कौन सा कपड़ा आंटी जी?

तो वो बोली कि गलती से वो कपड़ा मेरे पैर के नीचे आ गया है। मैंने गलती होने का नाटक किया और बोल पड़ा- सॉरी आंटी जी! मुझे तो दिखा ही नहीं कि आपकी पैंटी यहाँ पर गिरी है।

मैंने पैंटी उठाई और उसे ठीक करने लगा तो आंटी बोली- यह क्या कर रहे हो? ऐसे ही दे दो ज़ल्दी से!

मैंने कहा- कोई बात नहीं आंटी जी! ठीक कर देता हूँ, मेरे से गलती हो गई।

आंटी को जानते हुए देर न लगी कि मेरे मन में क्या है। तो आंटी ने कहा- कपड़े ठीक करने का इतना ही शौक है तो मेरे घर आ जा, वहाँ बहुत बड़ा ढेर है, फिर मन भर के सफाई कर लेना!

मैंने कहा- मुझे कपड़े धोने नहीं आते, मैं तो बस छोटे कपड़े ही धोया करता हूँ!

आंटी ने कहा- छोटे कपड़े ही धो देना, मेरी बहुत मदद हो जायेगी!
मैंने कहा- क्या सचमुच आ जाऊँ?
तो आंटी ने कहा- अभी आ जा!

मैं नीचे आया और मम्मी से बोला कि आंटी का केबल ख़राब है, उन्होंने मुझे कहा है कि मैं ज़रा देख लूं तो क्या पता ठीक हो जाए।

मम्मी को बता कर मैं आंटी के घर चला गया। आंटी ने बिना दुपट्टे के सूट पहना हुआ था और उसकी गांड के दो टुकड़े अलग अलग दिख रहे थे। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी गांड को देखूं या उसको ब्रा को फाड़ कर बाहर आने को तैयार उसकी चूचियों को देख कर रात की मूठ का इंतज़ाम करूँ।

तभी आंटी पानी ले आई और जैसे ही मैंने पानी लिया, वो मेरी बगल में बैठ कर मेरी पढ़ाई का हाल-चाल पूछने लगी।
मैंने बिना समय बर्बाद करते हुए कहा- आप कपड़े दिखाओ, मुझे और भी बहुत से काम हैं!

शायद आंटी भी बहुत दिनों से लंड के लिए तड़प रही थी, वो बोली- ऊपर के या नीचे के?
मैंने कहा- मैं दोनों काम कर लूँगा!

आंटी ने उसी वक़्त अपना कमीज़ उतार दिया और उनकी ब्रा से बाहर निकलते स्तनों को देख कर मेरा तो लंड खड़ा हो गया।

आंटी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने वक्ष पर रख दिया।
मैंने कहा- आंटी, आपकी चूचियों का आकार क्या है?
तो आंटी बोली- तुझे कितना लगता है?
मैंने तुक्का मार दिया- आंटी, चालीस?

आंटी बोली- लगता है, काफी लड़कियाँ चोद चुका है तू कॉलेज में! तूने तो एकदम सही साइज़ पहचान लिया।

तो मैंने कहा- आंटी, जब रात को कई बार आप कपड़े सुखा के चली जाती हो सोने, तो मैं चुपचाप छत पर जाकर आपकी ब्रा और पैंटी का नम्बर देखता था और आपकी पैंटी को ले जाकर उसमे मुठ मारता था।

आंटी ने मेरे मुँह पर एक थप्पड़ मारा और कहा- साले, कुत्ते, तेरी वज़ह से ही मेरी चूत में खुज़ली होती थी! मैं साफ़ पैंटी सुखा के जाती थी और सुबह उस पर दाग होता था! पर मुझे वही पैंटी पहननी पड़ती थी।

मैंने कहा- आंटी, आज आपकी चूत की सारी खुजली मैं दूर कर दूंगा!

मैंने आंटी को सामने मेज़ पर हाथ रख के कुतिया की तरह झुक जाने को कहा और उसकी सलवार और पैंटी को उतार कर अपनी नाक उसकी गांड में और जीभ उसकी चूत पे लगा दी।
उसकी चूत का स्वाद नमकीन था और मेरा लण्ड अब पूरी तरह तैयार था।

मैंने बिना समय ख़राब किये अपना लंड निकाल कर उस रंडी के मुँह में दे दिया।

5 मिनट की चुसाई के बाद मैंने लण्ड उसके मुँह से निकाल कर उसकी गांड में डाल दिया तो आंटी ने मना कर दिया और कहा- नहीं! डालना है तो चूत में डालो! और कहीं मुझे पसंद नहीं!

आंटी अन्दर कमरे में गई और अंकल का कंडोम ले आई और बोली- पिछले दो महीने से उस नामर्द ने यह तीन कंडोम का पैक ला के रखा है और अभी तक सिर्फ एक ही इस्तेमाल किया।

मैंने पूछा- पानी पियोगी या चूत में लोगी?

आंटी बोली- कुत्ते! चूत में डाल तो सही! लंड पानी तो बाद की बात है! कहीं तू भी उस नामर्द अंकल की तरह चूत के बाहर ही तो पानी नहीं छोड़ता?

अब मेरे अंदर का मर्द जाग गया और मैंने कहा- साली, रंडी, कुतिया! ले देख मर्द का लंड किसे कहते हैं!

उसकी बारह मिनट की चुदाई के बाद वो झड़ गई तो मैंने उसकी चूत से लण्ड निकाल कर सारा पानी उसके मुँह में डाल दिया और उस कुतिया को जबरदस्ती वो पानी पिलाया। अब हम दोनों थक कर बेड पर लेट गए।

मैंने अचानक आंटी से पूछा- अंकल को क्या कहोगी कि दूसरा कंडोम कहा गया?

आंटी बोली- मैं कहूँगी कि मैंने दोनों कंडोम बाहर फेंक दिए!
मैंने कहा- दोनों??

तो आंटी दूसरा कंडोम एक हाथ में लिए हुए मेरा लण्ड सहलाने लगी और बोली- गांड मरवा कर भी देख ही लेती हूँ!
…आह आह आह आह आह आह आह फच्च फच्च पिच पिच Antarvasna

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *